विचार का महत्व

*◆◆ जैसे बीज के अभाव में वृक्ष का जन्म नहीं हो सकता, ठीक वैसे ही उच्च विचारों के अभाव में उच्च कर्म घटित नहीं हो सकता। शुभ कर्म और अशुभ कर्म दोनों कर्मों के पीछे जो कारण है वह विचार ही है। हमारे विचारों का स्तर जितना श्रेष्ठ और पवित्र होगा हमारे कर्म भी उतने ही श्रेष्ठ और पवित्र होंगे।*
         *कोई चोर जब तक चोरी नहीं कर सकता, जब तक कि वह पहले उसका विचार न कर लें। अत: हमारा कोई भी कर्म कार्य करने से पहले विचारों में घटित हो जाता है। विचारों का स्तर हमारे संग पर निर्भर करता है। हमारी संगति जितनी अच्छी होगी हम उतने ही अच्छे विचारों के धनी होंगे।*
          *जब तक हमारे विचार शुद्ध नहीं होंगे तब तक हमारे कर्म भी शुद्ध नहीं हो सकते। इसलिए विचारों को शुद्ध किये बिना कर्म की शुद्धि का प्रयास करना व्यर्थ है। जिसके विचार पवित्र हों उससे बुरा कर्म कभी हो ही नहीं सकता है।*

*Զเधॆ Զเधॆ*🙏🙏

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